8TH SEMESTER ! भाग-14 ( Worst Days of My Life)
"अबे किधर मर गया..."मेरे कंधो को ज़ोर से हिलाते हुए अरुण ने मुझसे दोबारा पुछा...जिसके लिए मैने तुरंत ना कर दी और प्लान ये बना कि मौका देखते ही अरुण और bhu गर्ल'स हॉस्टल मे जाएँगे और मैं यहीं रूम मे पड़ा-पड़ा मक्खिया मारूँगा....
अगले दिन हम फिर कॉलेज के पीछे वाले गेट से अंदर जा रहे थे, लेकिन आज बी. एच. यू. भी हमारे साथ था, वो 5 चुड़ैल आज भी गेट के बाहर खड़ी थी, जो पहले दिन हमें मिली थी..... इन सालियो के पास कोई काम -धाम नही है क्या.
"मर गये..."मेरे मुँह से सहसा ही उन चुड़ैलों को देख ये निकाल गया
"मर्द बन बे, इन लौंडियो से क्या डरता है..."bhu सीना तान के सबसे आगे चलता हुआ बोला...
"ओये, गधे की हाइट वाले ..."उन 5 चुडेलो मे से एक ने bhu को आवाज़ दी "इधर आ बे चपरगंजू..."
पहले पहल तो भूपेश को यकीन नही हुआ और वो वही खड़ा होकर पीछे की तरफ देखकर कन्फर्म करने लगा कि उन्होने उसे ही चपरगंजू कहा...लेकिन जब उनमे से एक ने bhu के उनके पास ना जाने के कारण माँ की गाली दी तो भूपेश को यकीन हो गया कि वो लड़किया उसे ही बुला रही है..... मै तो उन्हें देखते ही जान गया था की यहीच होने वाला है.
"क्यूँ बे, साले डेढ़ फुटिया... तुझे सुनाई नही देता..."भूपेश की आँख मे लगे चश्मे को निकालकर उनमे से एक बोली, आज वहाँ उन पाँच चुडेलो मे सात साल से इंजीनियरिंग करने वाले वरुण की माल भी थी.... जिसने कैंटीन मे मेरे चेहरे मे समोसा पोता था.
"एक भारतीय नारी को इस तरह से बात करना शोभा नही देता...."bhu ने बुरी शकल बनाकर कहा और ये सुनते ही वो पाँचो चुड़ैल हंस पड़ी, हँसी तो मुझे और अरुण को भी आई लेकिन हम दोनो ने जैसे-तैसे अपनी हँसी को कंट्रोल किया.....
" भारतीय नारी कौन बे...? मेरा नाम विभा है..."वरुण की आइटम ने अपना हाथ bhu की तरफ करते हुए मुस्कुरा कर बोली,...
"माइसेल्फ भूपेश ..."विभा का हाथ अपने हाथो मे थामकर bhu ने जवाब दिया" Vibha, these are friends... Arun and Arman..."
विभा ने पहले अरुण को देखा और फिर उसकी नज़र मुझसे मिली और मुझे देखते ही वो खिलखिला कर हंस पड़ी "ये तो वही चूतिया है, जिसके मुँह पर मैने समोसा पोता था...."
"तेरी माँ की "मै खुद पर चिल्लाया....
Bhu ने उन लड़कियो से कुछ देर और बात की और जिस शालीनता से वो पाँचो लड़किया bhu से बात कर रही थी उससे मेरे दिल मे एक डर पैदा हो गया कि इस साले से सीनियर्स इतनी अच्छे से क्यों बात कर रही है? ऐसा क्या दिख गया इन्हे इस डेढ़ फूटीये मे...? ये साला, कहीं ये एश को ना पटा ले.....
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"वो आई है क्या..."अपने क्लास मे घुसने से पहले मैं एश की क्लास मे घुसा, और पिछले कुछ दिनो की तरह आज भी अरुण के दोस्त ने ना मे सर हिला दिया और उदास मन से मैं वहाँ से अपने क्लास मे आया, वैसे आज का फर्स्ट पीरियड तो दम्मो रानी का था, लेकिन उसकी जगह दीपिका मैम आई थी और मैं समझ गया कि इस पूरे पीरियड को अपना सर झुका कर गुज़ारना है....
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"अरमान, stand up ...."दीपिका मैम ने मुझे आवाज़ दी, लेकिन क्यूँ...ना तो मैने पूरी क्लास मे कुछ बोला और ना ही किसी से बात की,...उस क्लास मे उस वक़्त सबसे शांत बच्चा मैं ही था, फिर मुझे क्यूँ खड़ा किया.. ये आज तक मेरे लिए suspence है
"व्हाट ईज़ जेवीएम ? " अपनी जगह पर मैं ठीक से खड़ा भी नही हो पाया था कि उसने मिसाइल दाग दी....दीपिका मैम के इस question का आन्सर देना तो दूर की बात थी मैने तो ये वर्ड जेवीएम ही पहली बार सुना था.....
"चुप क्यूँ हो आन्सर बताओ, अभी कुछ देर पहले ही तो बताया था, मैने ...."
"मैम , वो मैं भूल गया....एक बार फिर से बता दो..."कुछ देर तक दीपिका मैम को देखा, फिर सामने की दीवार को देखा, और जब कुछ नही सूझा तो कुछ देर इस इंतज़ार मे चुप-चाप खड़ा रहा कि शायद मेरे अगल-बगल बैठे नवीन और अरुण मे से कोई धीरे से बोल दे,...लेकिन जब चारो खाने मैं चित हो गया तो दीपिका मैम के आगे मैने सरेंडर कर दिया.....
"जावा वर्चुयल मशीन....अब याद रखना..."स्माइल मारते हुए वो बोली, मुझे आन्सर उसने इस अंदाज़ मे बताई जैसे कि मेट्रिक्स मूवी सीरीज उसी ने बनाई हो.... मतलब इतने गर्व से.
"Now sit down.."घमंड मे ही वो बोली...
उसके बाद उसने अपना प्रवचन फिर चालू कर दिया, आधे लुढ़क गये और आधे सामने की तरफ देखकर अपने ख़यालो मे खोए हुए थे.... कुछ देर पढ़ाने के बाद सवालों का सिलसिला फिर से शुरू हुआ...
"Now i m gonna ask some basic questions... Ok..."
"Ok... Mam.."सब एक साथ बोले.. सिवाय मेरे. क्यूंकि यदि मै भी ok mam बोलता तो साली सबसे पहले मुझे ही खड़ा करती.
"अरमान...."
"यस मैम ..."एक बार फिर बलि बकरा मैं ही बना" (अबे क्या है यार... मरवा ले अरमान से... जब देखो तब अरमान.. अरमान... और भी लौंडे है क्लास मे..)
"कुछ नॉर्मल क्वेस्चन पूछ रही हूँ तुमसे, आइ होप कि मुझे जवाब मिलेंगे..."
"आइ विल ट्राइ..."....(बहुत पेलुँगा, नही तो बैठा दे)
"विंडोज Xp क्या है..."
"मतलब..."
"मतलब कि व्हाट डू यू मीन बाइ विंडोस एक्सपी ? "
"वो तो ऑपरेटिंग सिस्टम है, बस इतना ही मालूम है..."
"अच्छा ये बताओ, कंप्यूटर यूज़ करते हो..."सामने की desk पर अपनी तशरीफ़ सटा कर उसने अगला सवाल किया...
"बिल्कुल करता हूँ..." (वो वाली सेक्सी फिल्मे देखने का मज़ा तो बड़े स्क्रीन मे ही आता है...)
"तो बताओ कि किसी भी डॉक्युमेंट को प्रिंट करने के लिए शॉर्टकट तरीका क्या है, यदि ...."
"Ctrl + p."इधर एक तरफ मैने जवाब दिया और वही दूसरी तरफ अपने बड़े भाई का मन ही मन शुक्रिया अदा किया , क्यूंकी उन्ही के बदौलत ही मैने इस सवाल का जवाब दिया था..... उन्होंने ही सिखाया था अपने लैपटॉप के जरिये ऐसी चीजे
मैने दीपिका मैम के दो आसान सवालों का जवाब क्या दिया, उसने तो मुझे कंप्यूटर जगत का गॉडफादर ही समझ लिया और फिर एक के बाद एक सवाल पूछती गयी, और मैं भी इसके बाद हर बार बोलता गया "सॉरी मैम ...."
सीएस सब्जेक्ट का कोई theory exam नही था, ये सब्जेक्ट फुल्ली प्रैक्टिकल बेस्ड था और जिस सब्जेक्ट का केवल प्रैक्टिकल हो तो उसे प्रैक्टिकल एग्जाम वाले दिन के आलवा किसी और दिन पढ़ना पाप था, और ये पाप मैं कैसे करता, इसीलिए दीपिका मैम के बाकी के क्वेस्चन्स पर सिर्फ़ दो शब्द मुँह से निकले "सॉरी मैम ..."
"पढ़ना चालू कर दो ,वरना फेल कर दूँगी...सिट डाउन..."
उसने फेल करने की धमकी देकर सिट डाउन क्या बोला , मेरा शट डाउन ही हो गया और मैं चुप चाप किसी लूटे पीटे की तरह बैठ गया.....
"अरमान, इस पर ट्राइ कर ,ये पट जाएगी..."दीपिका मैम के क्लास से जाने के बाद अरुण बोला
"इसे पटा कर क्या करूँगा, साली बिस्तर मे इसके साथ जब रहूँगा तो एचटीटीपी का फुल फॉर्म पुछेगि"
"अबे इससे अच्छी माल नही मिलेगी, "
"एश डार्लिंग है ना...."
" अपने अरमानो पर काबू रक्खो बेटा अरमान ,वरना....."
"वरना....आगे बोल, रुक क्यों गया "
"ये साली फिर आ गयी..."अरुण के इस तरह से तुरंत टॉपिक चेंज करने से मैं चौका
"क्या हुआ बे..."
"ये sharon sibin ,फिर आ गयी सामने..."
मैने सामने की तरफ नज़र डाली तो देखा कि सामने वही लड़की खड़ी थी, जो कॉलेज के पहले दिन ही नेतागिरी झाड़ते हुए इंट्रोडक्शन क्लास चला रही थी, अरुण वैसे तो क्लास की दूसरी लड़कियो को गाली नही देता था,लेकिन Sharon को देखते ही उसका पारा गरम हो जाता और उसके मुँह से Sharon के लिए प्यार भरे शब्द निकल जाते......
"इतने दिन हो गये है और हम सब एक-दूसरे का नाम भी नही जानते...."मुँह बनाते हुए वो बोली....
शेरीन ना ज़्यादा मोटी थी और ना ही ज़्यादा पतली...लेकिन यदि उसका फेस और उसकी आदत ढंग की हो तो शायद हम उसे छोड़ भी देते....क्लास खाली जा रही थी और introduction का दौर आगे बढ़ते हुए अरुण तक आया....
"योर टर्न ..."अरुण की तरफ उंगली दिखा sharon बोली....
" जिसको भी मेरे बारे मे जानना है वो दबी मे आकर मुझसे मिल ले.... अच्छे से बताऊंगा अपने बारे मे.. सालो " ताव -ताव मे अरुण खड़ा हुआ और ताव -ताव मे इतना बोलकर... ताव -ताव मे ही बैठ गया
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"व्हाट..."नाक सिकोडती हुए Sharon, अरुण की तरफ देखी .
"हवेली मे मिलना फिर बताउन्गा तुझे ,व्हाट... बडी आयी, अरुण जी का introduction लेने वाली.. चल हट"
TO BE CONTINUE...
मेरी अन्य कहानिया .......
१. ये लाल रंग...(समाप्त )
२. लॉकेट ....(समाप्त )
३. समुन्दर का शिकारी (जारी ......)
Kaushalya Rani
25-Nov-2021 09:10 PM
Nice part
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Barsha🖤👑
25-Nov-2021 05:15 PM
बहुत बढ़िया रोमांचक भाग
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Sana khan
28-Aug-2021 04:11 PM
Bahoot khubsurat
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